उजाला बनकर रहना मेरे जीवन में, सुबह हो या शाम।। उजाला बनकर रहना मेरे जीवन में, सुबह हो या शाम।।
नारी तुम बँधी हो केवल अपने सपनों के संसार से। नारी तुम बँधी हो केवल अपने सपनों के संसार से।
समाज रिश्तों की विविधता है समाज मानवता की कल्पना है। समाज रिश्तों की विविधता है समाज मानवता की कल्पना है।
मुनासिब है भटके को, मंजिल मिल ही जाती है। गर 'मुश़ाफिर' ही मुश़ाफिर के काम आते हैं। मुनासिब है भटके को, मंजिल मिल ही जाती है। गर 'मुश़ाफिर' ही मुश़ाफिर के काम आत...
जब तक सबसे जुड़ ना पाएँ कभी नहीं कल्याण यहाँ पर ! जब तक सबसे जुड़ ना पाएँ कभी नहीं कल्याण यहाँ पर !
लगता है जैसे घोर अंधकार जीवन में। लगता है जैसे घोर अंधकार जीवन में।